Virat Kohli : विराट के बाद अब कौन?
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विराट कोहली (Virat Kohli) ने सचिन के संन्यास से आए खालीपन को भरा। अब उनके संन्यास से एक बड़ा गैप आ गया है।
14 साल की लंबी यात्रा, 123 टेस्ट मैच, 9230 रन, 30 शतक और अनगिनत जज्बाती लम्हे - विराट कोहली (Virat Kohli) ने आखिरकार टेस्ट क्रिकेट को अलविदा कह दिया। 36 साल की उम्र में जब उन्होंने अपने सोशल मीडिया पर ये घोषणा की, तो क्रिकेट प्रेमियों के दिलों में एक खालीपन सा उतर आया।
यह वही विराट (Virat Kohli) थे, जिन्होंने कभी सचिन तेंदुलकर के जाने से बने शून्य को भरा था। अब जब वो खुद जा रहे हैं, तो एक और बड़ा शून्य भारतीय क्रिकेट में छोड़ गए हैं।
Virat Kohli का इंस्टा पर संदेश,
टेस्ट क्रिकेट में बैगी ब्लू (सफेद जर्सी) पहनकर खेलना शुरू किए अब 14 साल हो गए हैं। सच कहूं तो, मैंने कभी नहीं सोचा था कि यह फॉर्मेट मुझे ऐसी यात्रा पर ले जाएगा। इसने मुझे परखा, मुझे गढ़ा, और जिंदगी भर साथ रहने वाले सबक सिखाए।
सफेद कपड़ों में खेलना कुछ बहुत निजी-सा होता है। वो शांत संघर्ष, लंबे दिन, और वो छोटे-छोटे पल जिन्हें शायद कोई नहीं देखता, लेकिन जो हमेशा दिल में बसे रहते हैं। अब जब मैं इस फॉर्मेट से दूर जा रहा हूं, तो यह आसान नहीं है, पर सही लगता है। मैंने इसमें अपना सब कुछ झोंक दिया, और इसने मुझे उससे कहीं ज्यादा लौटाया, जितनी मैंने उम्मीद की थी।
मैं इस खेल से, अपने साथ खेलने वाले हर साथी से, और हर उस इंसान से जिसने मुझे इस सफर में देखा और सराहा - उन सभी के प्रति दिल से आभार लेकर आगे बढ़ रहा हूं। जब भी मैं अपनी टेस्ट करियर को याद करूंगा, मेरे चेहरे पर एक मुस्कान जरूर होगी।
विराट (Virat Kohli) की टेस्ट यात्रा सिर्फ आंकड़ों का खेल नहीं थी। वह मैदान पर ऊर्जा का ज्वालामुखी थे। उनकी आंखों में आग थी, चाल में जोश था और बैट में वही अनकही ताकत जो गेंद को चीर कर सीमा रेखा के पार पहुंचा देती थी।
सचिन तेंदुलकर (Sachin Tendulkar) के जाने के बाद देश को एक ऐसा बल्लेबाज चाहिए था, जो न सिर्फ रन बनाए, बल्कि उम्मीदों का भार भी उठाए। विराट ने यह जिम्मेदारी सिर्फ उठाई नहीं, बल्कि उसे जिया। वह न तो तेंदुलकर की तरह जन्मजात परफेक्ट थे, न ही द्रविड़ जैसे तकनीकी सौंदर्य के प्रतीक। वह खुद को गढ़ते गए - हर असफलता को चीरते हुए, हर कमजोरी को ताकत बनाते हुए।
2014 से 2019 का वक्त विराट का स्वर्ण युग था। इस दौरान 90 पारियों में उन्होंने 5347 रन बनाए, 21 शतक ठोके और हर देश में अपने बल्ले का लोहा मनवाया। इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया, साउथ अफ्रीका - हर मैदान उनका अपना बना।
घरेलू जमीन पर भी बेमिसाल Virat Kohli
विराट (Virat Kohli) को अक्सर विदेशी प्रदर्शन के लिए सराहा गया, लेकिन भारत में भी उनका औसत 55.58 का था, जो तेंदुलकर और द्रविड़ दोनों से बेहतर है। 2012 से 2024 तक भारत की टेस्ट टीम घरेलू मैदानों पर लगभग अजेय रही, और इसका केंद्र थे विराट कोहली (Virat Kohli)।
Virat Kohli का जाना एक युग का अंत है, लेकिन उनकी विरासत किसी शुरुआत से कम नहीं। उन्होंने बताया कि कैसे जुनून और अनुशासन मिलकर एक सामान्य युवा को महान बना सकते हैं।
अब जब वह टेस्ट क्रिकेट को अलविदा कह चुके हैं, तो भारतीय क्रिकेट को एक और विराट को ढूंढना होगा - ना सिर्फ रन बनाने वाला, बल्कि दिलों पर राज करने वाला।
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